हाटी जनजाति समुदाय, गिरिपार सिरमौर, हि० प्र०

हाटी जनजातीय आंदोलन की प्रमुख गतिविधियाँ और घटनाक्रम

1. प्रारंभिक पृष्ठभूमि और प्रेरणा

  • 1967: जौनसार-बाबर के मूल निवासी जौंसारा को भारत सरकार द्वारा जनजाति के रूप में अधिसूचित किया गया।
  • गिरिपार सिरमौर और जौनसार-बाबर की ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और एथ्नोग्राफिक समानता के कारण हाटियों ने अपना जनजातीय दर्जा मांगना उचित समझा।

2. केंद्रीय हाटी समिति का गठन और आरंभिक पैरवी

  • 1970 के दशक: केंद्रीय हाटी समिति गठित, जौनसार-बाबर की तर्ज़ पर हाटियों को जनजाति दर्जा दिलाने हेतु केंद्र सरकार के समक्ष पैरवी शुरू।
  • 1983: केंद्रीय हाटी समिति का पुनर्गठन।
  • सितंबर 1985: समिति को ‘सभायें पंजीकरण अधिनियम XXI, 1860’ के तहत पंजीकृत किया गया।

3. दस्तावेजीकरण और प्रमाण प्रस्तुत करना

  • 1979: केंद्रीय हाटी समिति ने लोकूर आयोग द्वारा अनुशंसित पाँच बिंदु आधारित स्व-मूल्यांकन प्रतिवेदन केंद्र सरकार को प्रस्तुत किया।
    • आदिम परम्पराओं के लक्षण
    • विशिष्ट संस्कृति
    • भौगोलिक पृथकता
    • दूसरे समुदाय के साथ संबंध स्थापित करने में शर्मीलापन
    • सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन
  • 1980: केंद्र सरकार ने हाटियों की धरातलीय वास्तविकता जानने हेतु हिमाचल प्रदेश राज्य कल्याण आयोग को पत्र लिखा।
  • तत्कालीन उपायुक्त सिरमौर ने गिरीपार-जौनसार की समरूपता की विस्तृत रिपोर्ट भेजी।

4. राज्य सरकार और संसदीय स्तर पर समर्थन

  • 1992: सात सदस्यीय समिति गठित, गिरिपार सिरमौर के भ्रमण के बाद रिपोर्ट प्रस्तुत की और हाटियों की मांग को उचित ठहराया।
  • 1996: छः सदस्यीय समिति द्वारा ‘Social Assessment Study of District Sirmour: A Report’ तैयार की गई।
  • 2002: तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री श्री जगत प्रकाश नंडा ने समर्थन किया।
  • 2010: जिला कल्याण अधिकारी ने हाटी समुदाय की 14 उप-जातियों पर सर्वेक्षण कराया।
  • 2011: तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपने का निर्देश दिया।

5. शोध और सांस्कृतिक गतिविधियाँ

  • कई विश्वविद्यालयों और संस्थानों ने हाटियों पर शोध किया:
    • 1986: के.एस. नेगी – Bethu System पर केस स्टडी
    • 2009: डॉ. रमेश कुमार – हाटियों का मुख्यधारा में समावेशन
    • 2010: अनिल कुमार – Socio-Cultural aspects of Giripaar Sirmour
    • 2015: सुमन शर्मा – शिलाई तहसील की लोक गायन संस्कृति
    • 2019: सुरेश कुमार – Demand for Tribal Status: Haati Community
    • 2019: डॉ. अरुण भारद्वाज – Ethnographic Study of Haati Community
    • 2020: विनोद कुमार – हाटी समुदाय का अध्ययन
  • राजकीय महाविद्यालयों में लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित।
  • 2018: हाटी समिति की वेबसाइट https://haatitribegiripar.in/ लॉन्च।
  • डॉक्यूमेंट्री और फिल्में बनीं, जैसे “Haati: We Exist” और पारंपरिक उत्सव “बूढ़ी दिवाली” पर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार।

6. राजनीतिक और जन समर्थन

  • केंद्रीय हाटी समिति ने सभी राजनितिक दलों के साथ समन्वयन स्थापित किया।
  • 2013 और 2018: भारतीय जनता पार्टी के विजन डॉक्यूमेंट में हाटियों की मांग शामिल।
  • 2020: वर्तमान सांसद श्री सुरेश कश्यप ने संसद में मुद्दा उठाया।
  • 2018: केंद्रीय मंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने मेले में हाटियों की मांग पूरी करने का आश्वासन दिया।

7. विधायी मंजूरी

  • दिसम्बर 2022: लोक सभा में हाटी अनुसूचित जनजाति (संशोधन) विधेयक प्रस्तुत और पारित।
  • बजट सत्र 2023: राज्य सभा में विधेयक पारित।
  • 4 अगस्त 2023: राष्ट्रपति की स्वीकृति और राजपत्र में प्रकाशन।