हाटी आंदोलन के प्रमुख अभियान
हाटी समुदाय के आंदोलन को जनजातीय दर्जा, सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान और राजनीतिक एकजुटता के लिए विभिन्न अभियानों के माध्यम से आगे बढ़ाया गया।
संगठनात्मक अभियान
- केन्द्रीय हाटी समिति: 1970 के दशक में गठित, 1985 में पंजीकृत।
- क्षेत्रीय इकाइयाँ: नाहन, सोलन, शिमला, चंडीगढ़ और दिल्ली में सक्रिय।
- ग्राम स्तर की इकाइयाँ: विकास खंडों, तहसीलों और पंचायतों में गठित।
दस्तावेजीकरण और शोध अभियान
- स्व-मूल्यांकन रिपोर्ट: 1979 में लोकूर आयोग के पाँच मानदंडों पर आधारित रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत।
- राज्य सरकार की रिपोर्टें: कन्हैया लाल समिति (1992) और डॉ. एस. के. गुप्ता समिति (1996) ने हाटियों की मांग उचित ठहराई।
- विश्वविद्यालयों का शोध: हिमाचल प्रदेश और पंजाब विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों ने सामाजिक-आर्थिक और नृजातीय पहलुओं पर शोध किया।
मीडिया और सांस्कृतिक प्रचार
- सोशल मीडिया समूह: हाटी कबीला, हाटी एक्रोस द ग्लोब, गिरिपार की आवाज, हाटी की गूंज आदि।
- वेबसाइट: 2018 में केन्द्रीय हाटी समिति ने आधिकारिक वेबसाइट शुरू की।
- डॉक्यूमेंट्री और फिल्म: "Haati: We Exist" और "बूढ़ी दिवाली" राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार विजेता।
राजनीतिक संपर्क अभियान
- सांसदों का समर्थन: शिमला, मंडी और हमीरपुर के सांसद लगातार मुद्दा उठाते रहे।
- उच्च स्तरीय मुलाकातें: प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों से प्रतिनिधिमंडल द्वारा मिलकर मांग प्रस्तुत।
- राजनीतिक दस्तावेज: भाजपा के 2013 और 2018 विजन डॉक्यूमेंट में हाटियों की मांग प्रमुख।